तन्हा होने पर ये जीवन का दर्शन समझ मे आता है .
मै क्या हूँ , वो क्या है फ़लसफ़ा समझ मै आता है .
जब रिश्तो म़े बढ़ जाती है दूरिया,
हर ओर छा जाती है ख्मोशिया
जब हर पल मन हो जाता है बैचन,
बार बार लहेरो से जूझ कर भी ,
किनारे खड़ा पाता है मन .
ये आदमी की फितरत है शायद
टूटते रहने पर भी नित नये रिश्ते बनाता है
धोखा खा , हाथ झाड़कर खड़े हो जाता है
एक ओर रिश्ता बनाने को ,आगे कदम बढाता है .
क्या खोया है ,क्या पाया है का समीकरन मन बैठाता है ,
कहा लूटा है ,कंहा लुटा, सोच मन पछताता है .
कण -कण म़े ,हर धड़कन मे, फिर भी तलाशता रहता है मन
माँ के आंचल मे ,दोस्त की अठखली मे ,बेटी के अपनेपन मे ,
प्रेमी के सपनों मे ,जीवन का हर पल जीता है .
मै क्या हूँ , वो क्या है फ़लसफ़ा समझ मै आता है .
जब रिश्तो म़े बढ़ जाती है दूरिया,
हर ओर छा जाती है ख्मोशिया
जब हर पल मन हो जाता है बैचन,
बार बार लहेरो से जूझ कर भी ,
किनारे खड़ा पाता है मन .
ये आदमी की फितरत है शायद
टूटते रहने पर भी नित नये रिश्ते बनाता है
धोखा खा , हाथ झाड़कर खड़े हो जाता है
एक ओर रिश्ता बनाने को ,आगे कदम बढाता है .
क्या खोया है ,क्या पाया है का समीकरन मन बैठाता है ,
कहा लूटा है ,कंहा लुटा, सोच मन पछताता है .
कण -कण म़े ,हर धड़कन मे, फिर भी तलाशता रहता है मन
माँ के आंचल मे ,दोस्त की अठखली मे ,बेटी के अपनेपन मे ,
प्रेमी के सपनों मे ,जीवन का हर पल जीता है .
KHOOBSOORAT HINDI NAZM.MASHA ALLAH."AADMI KI FITRAT" KHOOB KAHA.
जवाब देंहटाएंप्रभावकारी प्रस्तुति हेतु -बधाई!
जवाब देंहटाएं===================
उन्नति, उत्साह, उमंग आपकी पीठ थपथपाएं|
उज्ज्वल भविष्य हेतु हमारी शुभकामनाएं||
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सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
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